Class 12th Biology Subjective Question Answer :- दोस्तों यदि आप Class 12th Exam 2024 Biology Subjective Question की तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपको Bihar Board 12th Biology Subjective Question दिया गया है जो Biology Subjective Question के लिए महत्वपूर्ण है, 12th class biology questions 2024 pdf in hindi
Class 12th Biology Subjective Question Answer 2024
1. पुरुष जनन तंत्र का एक नामांकित आरेख बनाएँ ।
उत्तर:—
2. स्त्री जनन तंत्र का नामांकित आरेख बनाएँ
उत्तर :—
3. वृषण तथा अण्डाशय के बारे में प्रत्येक के दो—दो प्रमुख कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर — वृषण तथा अण्डाशय के कार्य इस प्रकार हैं :
वृषण के कार्य | अण्डाशय के कार्य |
(1) वृषण पीयूष ग्रंथि द्वारा स्रावित गोनेडो ट्रोपिन (FSH) तथा (LH) का रख—रखाव ठीक रखते हैं फॉलिकल उत्तेजक हॉर्मोन (FSH) शुक्राणुओं के विकास को उत्तेजित करता है जबकि ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन (LH) लीडिंग कोशिकाओं द्वारा टेस्टोस्टीरोन के संश्लेषण का नियंत्रण करता है। टेस्टोस्टीरोन प्राथमिक तथा गौण लैंगिक लक्षणों को प्रभावित करता है। | (1) अण्डाशय स्त्री युग्मक (अण्डाणु / ओवम) और कई स्टेरॉयड हॉर्मोन (अण्डाशयी हॉर्मोन) उत्पन्न करते हैं। |
(2) वृषण शुक्राणु जनन का कार्य करते हैं । | (2) परागकणों का एक पुष्प के परागकोश से दूसरे पौधे (उसी जाति का ) के वर्तिकाम पर गिरना पर—परक्षण कहलाता है । |
4. शुक्राणुजनन एवं वीर्यसेचन (स्पर्मिएशन) की परिभाषा लिखें।
उत्तर— वृषण में शुक्राणुजनन निर्माण की प्रक्रिया को शुक्राणुजनन कहते हैं । शुक्राणुजनन के पश्चात् शुक्राणु शीर्ष सर्टोली कोशिकाओं में अंतःस्थापित (इंबेडेड) हो जाता है और अंत में जिस प्रक्रिया द्वारा शुक्राणु, शुक्रजनक नलिकाओं से मोचित (रिलीज) होते हैं, उस प्रक्रिया को (वीर्य सेचन) स्पर्मिएशन कहते हैं ।
5. अण्डाशय के अनुप्रस्थ काट (ट्रॉसवर्स सेक्शन) का एक नामांकित आरेख बनाएँ
उत्तर—
12th Ka biology Subjective question
6. शुक्रीय प्रदव्य ( सैमिनल प्लाज्मा) के प्रमुख संघटक क्या हैं ?
उत्तर — पुरुष लिंग की सहायक ग्रंथियों के अंतर्गत एक जोड़ा शुक्राशय, एक पुरस्थ (प्रोस्टेट) मंथि तथा एक जोड़ा बल्बोयूरेथल मंथियाँ शामिल होती हैं। इन ग्रंथियों का स्राव शुक्रीय (सेमिनल) प्लाज्मा का निर्माण करता है जो फ्रुक्टोज (फल शर्करा), कैल्सियम तथा कुछ प्रक्रिण्व (एंजाइम्स) से भरपूर होता है।
7. ग्राफी पुटक (ग्राफिएन फॉलिकिल) का एक नामांकित आरेख बनाएँ और उसकी विशेषताओं को लिखें।
उत्तर :
विशेषताएँ :—
(i) प्रत्येक ग्राफी पुटक एक बड़े Ovum को रखता है जो कि बहुत सारे ग्राफी पटक कोशिका से घिरा रहता है।
(ii) परिपक्व ग्राफी पुटक कोशिका में estrogen का स्राव करता है।
(iii) Ovarian Cortex अपने अंदर Young तथा परिपक्व follicle रखता है।
8. मनुष्यों में नर जनन तंत्र के अंगों के नाम लिखिए ।
उत्तर— मनुष्यों में नर जनन तंत्र में निम्न अंग शामिल होते हैं—एक जोड़ी वृषण (testes), एक जोड़ी एपिडिंडिमिस (epididymis), एक जोड़ी शुक्रवाहिकाएँ (vasa deferential), एक स्खलन वाहिनी ( ejaculatory duct), एक मूत्रमार्ग (urethra), शिश्न ( penis) तथा सहायक प्रथियाँ (accessory glands) आदि।
9. मनुष्यों में मादा जनन तंत्र के अंगों के नाम लिखिए।
उत्तर— मादा जनन तंत्र में निम्न अंग शामिल होते हैं— एक जोड़ी अण्डाशय, एक जोड़ी अण्डवाहिनियाँ (अथवा फैलोपियन नलिकाएँ), गर्भाशय तथा योनि मार्ग आदि ।
10. अपरा किसे कहते हैं ?
उत्तर :— अपरा (Placenta) एक ऊतक है जो गर्भाशय से जुड़ा रहता है अपरा के द्वारा माँ के रक्त से ऑक्सीजन और पोषक तत्व गर्भ (भूण) में पहुँचते हैं। यही संरचना भ्रूण के रक्त से कार्बन डाइऑक्साइड तथा उत्सर्गी उपशिष्टों को भी भ्रूण रक्त से माँ के रक्त में पहुँचाती है। अपरा से दो हार्मोन भी निकलते हैं— प्रोजेस्टेट्रॉन तथा ईस्ट्रोजन इन हार्मोनों के प्रभाव से जब तक गर्भावस्था चलती है तब तक न तो अण्डोत्सर्ग होता है और न ही रजोचक।
11. यौवनारम्भ किसे कहते हैं ?
उत्तर :— यौवनारम्भ’ (Puberty ) मनुष्यों में जनन अंग नर में 13—14 वर्ष के आसपास कार्यशील हो जाते हैं। इस आयु को यौवनारम्भ आयु कहते हैं। लैगिक परिपक्वन के दौरान नर और मादा दोनों में हार्मोनी परिवर्तन होते हैं तथा इन हार्मोनों के प्रभाव से द्वितीयक लैंगिक लक्षण भी आते हैं— आवाज का भारी होना, कंधों का चौड़ा होना, दाढ़ी, मूँछ निकल आना तथा बगलों और जघन क्षेत्र में बालों का आना विशिष्टाएँ विकसित हो जाती हैं। मादाओं के द्वितीयक लैंगिक लक्षणों में आते हैं—बगलों तथा श्रोणि क्षेत्र में बालों का उगना, श्रोणि तथा कूल्हों का चौड़ा होना, स्तनों का उभार तथा रजोचक (menstruation) का आरंभ।
12. प्रसव किस प्रकार होता है ?
उत्तर—प्रसव पीड़ा का प्रारंभ प्रसव कहलाता है। इसका नियंत्रण अनेक प्रकार के हॉर्मोन मिलकर करते है
(i) सर्वप्रथम सर्विक्स का मुख खुल जाता है। यह पूर्ण शक्ति के साथ लगातार संकुचित होती है।
(ii) एम्निओन के फटने से एम्नियोटिक द्रव (जल) योनि से बाहर आ जाता है।
(iii) इसके साथ या थोड़ी देर बाद नवजात बाहर आता है।
(iv) बाद में नाभि रज्जु को काट दिया जाता है।
(v) प्लेसेंटा तथा नाभि रज्जु को बाहर निकाल लिया जाता है।
Inter Exam 2024 Biology Question Answer 2024
13. कोलॉस्ट्रम क्या है ? दुग्ध के उत्पादन का नियंत्रण हॉर्मोन द्वारा किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर— जन्म के समय तथा कुछ दिनों के लिए मादा के स्तनों से एक तरल स्रावित होता है जिसे कोलॉस्ट्रम कहते हैं। इसमें प्रोटीन व ऊर्जा का आधिक्य होता है। इसमें प्रतिरक्षी तत्व पाए जाते हैं जो नए जन्में शिशु में प्रतिरक्षा उत्पन्न करते हैं।
प्रसव के तीन या चार दिनों के पश्चात् स्तनों से दुग्ध स्रावित होता है। दुग्ध उत्पादन का नियंत्रण हॉर्मोनों द्वारा होता है। दुग्ध का संश्लेषण पीयुष ग्रंथि के हॉर्मोन प्रोलैक्टिन (PRL) के द्वारा प्रेरित होता है।
ऑक्सीटोसिन की उच्च मात्रा इसके स्राव को प्रेरित करती है, जो नवजातको पोषण प्रदान करता है।
दुग्ध में एक अवरोधक पेप्टाइड होता है। यदि स्तन पूर्णरूप से खाली नहीं होते तो यह पेप्टाइड एकत्रित होकर दुग्ध उत्पादन को रोकते हैं। यह ऑटोकाइम क्रिया है जिसमें दुग्ध माँग होने पर उत्पन्न होता है।
14. स्पर्मेटोजेनेसिस किस प्रकार अंतःस्रावी हॉर्मोनों द्वारा नियंत्रित प्रक्रिया है ?
उत्तर— शुक्र जनन नलिकाओं के मध्य अंतराली कोशिकाएँ टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन का स्राव करती हैं जो शुक्राणु निर्माण हेतु आवश्यक होता है। ICSH हॉर्मोन, अंतराली कोशिकाओं पर क्रिया करता है जिससे टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन भावित होता है। इसका नाव पीयूष ग्रंथि के अग्रपाली से होता है तथा यह हाइपोफाइसियल गोनेडोट्रोपिन जैसे ल्युटिनाइजिंग हॉर्मोन (LH) तथा फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन (FSH) के समान होता है।
FSH एवं टेस्टोस्टेरॉन के नियंत्रण में सर्टोली कोशिकाएँ (ABP) का भाव करती है। यह इनहिबिन भी स्राव करती है जो (FSH) के संश्लेषण को रोकती है LH तथा ICSH का भाव हाइपोवैलेनिक गोनाडोट्रोपिन रिलीजिंग हॉर्मोन (GnRH) द्वारा नियंत्रित होता है। टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन का स्तर ऋणात्मक पुनर्भरण द्वारा नियंत्रित होता है।
15. निम्न के कार्य बताएँ :
(i) फैलोपियन ट्यूब (ii) गर्भाशय तथा (iii) योनि
उत्तर :—
(i) फैलोपियन ट्यूब — अण्डाशय से अण्डोत्सर्ग के पश्चात् अण्ड इसी ट्यूब के द्वारा गर्भाशय की ओर आता है। इसी में यह स्पर्म से निषेचित होता है।
(ii) गर्भाशय — गर्भाशय की दीवार में निवेचन उपरांत अण्ड ब्लास्टोसिस्ट अवस्था में रोपित होता है तथा गर्भावस्था के दौरान फीटस के रूप में विकसित होता है।
(iii) योनि — संभोग के दौरान यह नर से वीर्य प्राप्त करता है प्रसव के दौरान इसके द्वारा नवजात बाहर आता है।
16. कॉर्पोरा कैवरनोसा कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर—कॉर्पोरा कैवरनोसा शिश्न के त्वचा के नीचे अच्छायी उत्तकों के स्तंभ है। त्वचा के नीचे शिश्न तीन अच्छायी उत्तकों के स्तंभों का बना होता है। शिश्न के दो—दो बेलनाकार कॉर्पोरा केवरनोसा, पृष्ठरूप से स्थित होते हैं और एक बेलनाकार यूरेक्षा का कॉर्पस कवरनोसा या कॉर्पस स्पॉन्जियोसम आधार भाग में स्थित होता है।
17. कॉर्पस ल्यूटिम किस प्रकार बनता है? इसका क्या अर्थ है ?
उत्तर— अण्डोत्सर्ग के पश्चात ग्रेन्युलोसा कोशिका तथा अंतराली कोशिका एक शंक्वाकार कोशिकाओं का बड़ा पीला पिंड बनाती है जिसे कॉर्पस ल्यूटियम कहते हैं। यह एक अस्थायी अंतःस्रावी ग्रंथि का कार्य करती है तथा प्रोजेस्टेरॉन तथा एस्ट्रोजन हॉर्मोनों का स्राव करती है।
18. स्त्री प्रजनन तंत्र की सहायक संरचनाओं के नाम लिखिए ।
उत्तर—स्वी प्रजनन तंत्र की सहायक संरचनाएँ निम्न है—
(i) लेबिया मेजेरा, (ii) लेबिया माइनोरा, (iii) क्लिटोरिस, (iv) बॉरथेलिन्स ग्रंथि तथा (v) पेरिनियम
BSEB 12th Biology Subjective Question 2024
19. शुक्राणु का एक नामांकित आरेख बनाएँ तथा इसके सभी घटकों के बारे में संक्षेप में लिखें।
उत्तर :—
(i) सिर शुकाणु का ऊपरी फुला हुआ भाग सिर कहलाता है, जिसके मध्य में एक अगुणित केन्द्रक उपस्थित होता है। इसकी ऊपरी सिरा टोपीनुमा संरचना एक्रोसोम से ढंका रहता है। यह भाग गॉल्जीकाय द्वारा निर्मित होता है, जिसमें निषेचन के दरम्यान मादा युग्मक में प्रवेश के लिए सहायक एन्जाइम उपस्थित होते हैं।
(ii) ग्रीवा सिर के पीछे का छोटा—सा भाग ग्रीवा कहलाता है, जो सेन्ट्रीओल द्वारा निर्मित होता है।
(iii) मध्य भाग— शुक्राणु के मध्य खण्ड में असख्य माइटोकॉण्ड्रिया उपस्थित होते हैं। माइटोकॉण्ड्रिया की उपस्थिति पूँछ की गति के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करने में सहायक होती हैं।
(iv) पूँछ —यह कोशिका द्रव द्वारा निर्मित भाग है, जो शुक्राणु को गतिशीलता एवं सक्रियता को बनाये रखता है। इसके मध्य भाग में एक तंतुमय संरचना एक्सोनिम उपस्थित होता है, जो बाहर तक निकला हुआ होता है। एक वयस्क नर में प्रतिदिन करीब 1012 से 103 शुक्राणुओं का निर्माण होता है।
20. प्रसव (पारटयुरिशन) क्या है ? प्रसव को प्रेरित करने में कौन से हॉर्मोन शामिल होते हैं ?
उत्तर— मानव में सगर्भता की औसत अवधि लगभग 9.5 माह होती है। जिसे गर्भावधि (जेस्टेशन पीरियड) कहते हैं। सगर्भता के अंत में गर्भाशय के जोरदार संकुचनों के कारण गर्भ बाहर निकल आता है। गर्भ के बाहर निकलने की इस प्रक्रिया को शिशु जन्म या प्रसव (पारटयुरिशन) कहा जाता है।
ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन गर्भाशय पेशी पर कार्य करता है और इसके कारण जोर—जोर से गर्भाशय संकुचन होने लगते हैं। गर्भाशय संकुचन ऑक्सीटोसिन के अधिक स्रवण को उद्दीपित करता है। गर्भाशय संकुचनों तथा ऑक्सीटोसिन साव के बीच लगातार उद्दीपक प्रतिकर्ष के कारण यह संकुचन तीव्र से तीव्रतर होता जाता है। इससे शिशु, माँ के गर्भाशय से जनन नाल द्वारा बाहर आ जाता है यानी प्रसव सम्पन्न हो जाता है ।
21. हमारे समाज में लकड़ियाँ जन्म देने का दोष महिलाओं को दिया जाता है । बताएँ कि यह क्यों सही नहीं है ?
उत्तर— स्त्री में गुणसूत्र का स्वरूप XX है तथा पुरुष में XY होता है। इसलिए स्त्री (अण्डाणु) द्वारा उत्पादित अगुणित युग्मकों में X लिंग गुणसूत्र होते हैं जबकि पुरुष युग्मकों (शुक्राणुओं) में लिंग सूत्र या तो X या Y लिंग गुणसूत्र होते हैं। इसलिए 50 प्रतिशत शुक्राणु में X लिंग गुणसूत्र होते हैं और दूसरे 50 प्रतिशत शुक्राणु में Y लिंग गुणसूत्र होते हैं। इसलिए पुरुष एवं स्त्री युग्मकों के संलयन के पश्चात्
युग्मनज में या तो XX या XY लिंग गुणसूत्र की संभावना होगी। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि X या Y लिंग गुणसूत्र वाले शुक्राणुओं में से कौन अण्डाणु का निषेचन करता है। जिस युग्मनज में XX गुणसूत्र होंगे वह एक मादा शिशु (लड़की) के रूप में जबकि XY गुणसूत्र वाला युग्मनज नर शिशु (लड़का) के रूप में विकसित होगा। इसी कारण कहा जाता है कि वैज्ञानिक रूप से यह कहना सत्य है कि एक शिशु के लिंग का निर्धारण उसके पिता द्वारा होता है न कि माता के द्वारा।
22. मानव मादा के अंडाशय के अनुप्रस्थ काट का नामांकित चित्र बनावें, जिसमें पुटकों के हर स्तर को दर्शाया गया है। अथवा, ग्राफी घटक (परिपक्व ) का एक नामांकित चित्र बनाइए एवं उसकी विशेषता को लिखें।
उत्तर :— मानव मादा में रंज—चक्र के दौरान FSH हार्मोन की उपस्थिति में 6—12 अण्डाशयी पुटक वृद्धि करना आरंभ करते हैं। इनकी कणिकीय कोशिकाओं में वृद्धि होती है। इनके प्रावरक आवरणों की संख्या बढ़ती है एवं एन्ट्रम बन जाता है। वृद्धिरत कणिकीय कोशिकाएँ एस्ट्रोजन प्रावित करती हैं। एक सप्ताह के बाद इनमें से केवल एक ही अण्डाशयी पुटक वृद्धि करता है शेष सभी अपहसित होने लगते हैं। वह सक्रिय (परिपक्व पुटक ही ‘गेफियन पुटक’ कहलाता है । FSH एवं एस्ट्रोजन दोनों की उपस्थिति में कणिकीय कोशिकाओं में LH माही विकसित होते हैं।
इस परिपक्व प्रेफियन फुटक की माप 2.5 cm होती है। इसकी विशेषता तथा कार्य है—
(i) इसकी प्लाज्मा झिल्ली एवं पारदर्शी आवरण दोनों ग्राही प्रोटीन रखते हैं जो शुक्राणु के शीर्ष को पहचान कर संलग्न होते हैं ।
(ii) यह अग्र पीयुष ग्रंथि द्वारा स्रावित FSH के नियंत्रण में वृद्धि करता है।
(iii) इसकी पुटक कोशिकाएँ एस्ट्रोजन का स्रावण करती है।
(iv) ये एस्ट्रोजन मादा लिंग हार्मोन है। यह मादा के लैंगिक लक्षणों का ही रख—रखाव नहीं करता बल्कि मादा जनन वाहिनी के स्तर को अण्ड ग्रहण करने हेतु तैयार करता है।
(v) यह LH हार्मोन को स्रावित होने को सक्रिय करता है जिससे प्रेफियन पुटिका अण्डाशय की सतह की ओर बढ़ती है एवं एक Stigma उत्पन्न करती है तथा अण्ड को पर्युदर्या गुहा में धकेल कर मुक्त कर दिया जाता है। इसे अण्डोत्सर्ग कहते हैं।
रिक्त प्रेफियन पुटिका में रक्त का थक्का बन जाता है। इसे कार्पस रक्तस्रावी कहते हैं। यहाँ वृद्धि होती है तथा पीला ल्युटिल उत्पन्न कर कार्पस लूटियम में बदल जाता है। अंत में यह हार्मोन स्राव करना और अपना पीला रंग खो देता है तथा नष्ट होने लगता है। इस अवस्था में ग्रेफियन पुटिका कार्पस एल्बिकेन्स कहलाता है।
23. निम्नलिखित के कार्यों का उल्लेख करें :
(i) अग्रपिण्ड (एक्रोसोम)
(ii) पीत पिण्ड (कार्पस ल्यूटियम)
(iii) पुरस्थ ग्रन्थि
(iv) शुक्राणु पृच्छ
(v) अंतराली कोशिकाएँ
उत्तर :—
(i) अग्रपिण्ड (एक्रोसोम) – नर शुक्राणु के अग्र सिर पर सुरक्षा टोपी निषेचन के समय अण्डाणु झिल्ली को नष्ट करना ।
(ii) पीत पिण्ड (कार्पस ल्यूटियम) – यह अंतःस्रावी हार्मोन यथा— प्रोजेस्ट्रॉन, इस्टरोजन रिलेक्सि प्रोवित करती है।
(iii) पुरस्थ ग्रन्थि – स्खलन के समय यह अम्लीय तरल पदार्थ सावित करती है, जो शुक्राणुओं को लगभग 25% अंश होता है तथा उन्हें सक्रिय करती है। यह प्रोटियोलिटिक एन्जाइम का भी आवण करती है ।
(iv) शुक्राणु पृच्छ – यह सूक्ष्म नलिकाओं द्वारा 9+2 व्यवस्था क्रम में बना होता है। शुक्राणुओं को ऊर्जा प्रदान कर उसके गति में सहायक होता है ।
(v) अंतराली कोशिकाएँ – यह शुक्रजन नलिकाओं के चारों ओर समूहों में पायी जाती है। इनका मुख्य कार्य नर हार्मोन एन्ड्रोजन का नावरण करना है तथा अन्य सम्बन्धित अंगों का यौवनारम्भ से प्रौढ़ावस्था तक का विकास करना है जैसे—दाढ़ी, मूँछ, बाल आदि ।
24. अण्डजनन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :— अण्डाशय के डिम्बकोशिका का अगुणित अण्डकोशिका में परिवर्तन को अण्डजनन कहा जाता है।
Inter Ka Biology Question Answer
25. अंतर्रोपन (Implantation) से आपका क्या अभिप्राय है? सगमता के दौरान होने वाले प्रमुख भ्रूणीय परीवर्द्धन का उल्लेख करें ।
उत्तर :— मानव भ्रूण निषेचन के पश्चात् कोरक पुटी का निर्माण करता है जिसकी गुहा ब्लास्टोसील कहते हैं कोरकपुटी क्रमशः आकार में बड़ा होता जाता है और निषेचन के एक सप्ताह बाद गर्भाशय की दीवार से चिपकता है। इसके एक तरफ (गर्भाशयी दीवार) की तरफ बहुकोशिकीय सिन्साइशियल कोशिकाएँ तथा दूसरी तरफ कोशिकीय ट्रोफोब्लास्ट में स्तर बनते हैं। सिन्साइशियल स्तर गर्भाशय की दीवार में प्रवर्ध बनकर भ्रूण को चिपकाने में सहायक होता है। भ्रूण के इस प्रकार गर्भाशय की दीवार से चिपकने की प्रक्रिया अंतर्रोपन कहलाती है।
26. निम्नलिखित को परिभाषित करें:–
(i) प्रोटोजोअन अन्तः परजीवी (ii) बीजाण्ड
उत्तर :—
(i) प्रोटोजोअन अन्तः परजीवी – अन्तः परजीवी प्रोटोजोआ वैसे परजीवी है जो हमारे शरीर के अन्दर रहते हैं और अपना जीवन चक्र दो पोषी (Host) के शरीर में पूरा करते हैं, जिनमें से एक अनिवार्य रूप से मनुष्य होता है। उदाहरण—प्लाजमोडियम, ई. कोलाई आदि ।
(ii) बीजाण्ड — बीजांड मुख्यतया अंडाकार होते हैं। बीजांडकाय बीजांड का मुख्य भाग है और यह पतले भित्ति वाली मृदुकीय कोशिकाओं का बना होता है। यह बीजांडकाय की कोशिकाओं में प्रचुरता से आहार सामग्री पाई जाती है। बीजांडकाय दो या एक अवारण से ढँका होता है, लेकिन कुछ बीजाण्डों में इसका अभाव भी होता है। आवरणों से बीजांड पूर्ण रूप से बैंका नहीं रहता, इसका कुछ भाग एक पतली नलिका जैसी रचना बना लेता है, जिसे बीजाण्डद्वार कहते है, बीजाण्डकाय का आधारीय भाग ब्लाजा कहलाता है। बीजाण्डद्वार के ठीक पास भ्रूणकोष उपस्थित होता है। एक बीजांड में, सामान्यतः एक अकेला भूणकोष होता है जो अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा बना होता है। बीजांड की काया का वह स्थान जहाँ पर यह बीजांडवृत्त जुड़ा रहता है वह नाभिक कहलाता है।
27. वृषण के घटकों का वर्णन करें
उत्तर :— वृषण पुरुष का प्रमुख जनन अंग है, क्योंकि इनमें नर युग्मक शुक्राणु बनते हैं। प्रत्येक पुरुष में दो अंडाकार (5cm x 2.5 cm x 3 cm) वृषण वृषणकोष में उदरगुहा के बाहर दोनों जंघाओं के बीच अलग—अलग स्थित रहते हैं यह वृषणकोष त्वचा का एक मोटा खोल होता है। जन्म लेने के पहले वृषण उदरगुहा में वृषणकोष में एक संकीर्ण मार्ग के द्वारा उतर आते हैं एवं अपने साथ भूणीय वृक्क का कुछ भाग, रुधिर वाहिनियाँ तथा तंत्रिकाओं के साथ वृषण रज्जु का निर्माण करता है। वृषणकोष उदरगुहा के साथ इंगुइनल नाल द्वारा संबंद्ध रहता है । अगर कभी किसी कारणवश आँत का कोई अंग इंगुइनल नाल से होते हुए वृषणकोष में आ जाता है तो इस अवस्था को इंगुइनल हर्निया कहते हैं, जो शल्य चिकित्सा द्वारा ठीक किया जा सकता है । वृषणकोष का ताप शुक्राणुओं के निर्माण के लिए उपयुक्त है। इसका • तापमान शरीर के तापमान ( 37°C) से 2°C — 3°C कम रहता है ।
प्रत्येक वृषण संयोजी ऊतक का बना एक आवरण से ढँका रहता है । इस आवरण को ट्यूनिका एल्बुजिनिया कहते हैं। ट्यूनिका एल्बुजिनिया वृषण हैं के अंदर कई सेप्टा बनाता है। इससे वृषण कई खंडों में बँट जाता है । प्रत्येक खंड में दो—तीन कुंडलित नलिकाएँ पाई जाती हैं। इन नलिकाओं को शुक्रजनन नलिकाएँ कहते हैं ।
28. शुक्राणुजनन एवं अण्डजनन के बीच अन्तर स्पष्ट करें ।
उत्तर — शुक्राणुजनन एवं अण्डजनन में अंतर निम्न हैं:
शुक्राणुजनन | अंडजनन |
1. वृषण में शुक्राणु की क्रिया शुक्राणुजनन कहलाती है। | 1. अंडाशय में अंडाणु निर्माण की क्रिया अंडजनन कहलाती है । |
2. ये अनेकों की संख्या में निर्मित होते हैं । | 2. यह केवल एक ही निर्माण होता है। |
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